लय, ठाह क्या, दुगुन व चौगुन क्या
संगीत और नृत्य एक दूसरे के पूरक हैं। सारी सृष्टि लय पर आधारित है और संगीत भी. शस्त्रीय नृत्य में कई विधाएं हैं जिसमे एक नाम कथक नृत्य का आता है। कथक नृत्य की बारीकियों को जानने के लिए उनमे प्रयोग होने वाले शब्दों को जानना और समझना आवश्यक है।
जब तक मूलभूत शब्दावली की जानकारी नही होगी तब तक न तो संगीत में रमा जा सकता है और न ही कत्थक की बारीकियों को जाना जा सकता है। ...पुनीता
चलिए जानते हैं कुछ शब्दावली:-
लय- संगीत में समय के बराबर गति को लय कहते हैं।
लय तीन प्रकार के होते हैं। पहला विलंबित लय, दूसरा मध्य लय और तीसरा द्रुत लय।
ठाह-प्रारंभिक लय जिसमे एक मात्रा में एक मात्रा बोला जाए, ठाह कहते हैं। जैसे, धा, धीं, धीं, धा।
दुगुन- प्रारंभिक लय के एक मात्रा में जब हम दो मात्रा को बोलते हैं तो उसे दुगुन कहते हैं। जैसे, धा धीं, धीं धा ।
चौगुन- प्रारंभिक लय के एक मात्रा में जब हम चार मात्रा बोलते हैं तो उसे चैगुन कहते हैं। जैसे, धा धिं धि धा
ताली- जब हम ताली बजाकर किसी ताल के विभागों को सूचित करते हैं तो उसे ताली कहते हैं। इस क्रिया को सशब्द क्रिया भी कहते हैं।
खाली- जब हम हवा में हाथ फेंक कर सिर्फ़ इशारों से विभागों को सूचित करते हैं तो उसे खाली कहते हैं। इस क्रिया को निह्शब्द क्रिया भी कहते हैं। खाली का चिह्न ० होता है।
ठेका- किसी भी ताल के मूळ वर्णों को ठेका कहते हैं।
जैसे- दादरा ताल का ठेका
धा धी ना/धा तू ना आदि
ठेका को तबले या पखावज पर बजाया जाता है।
सलामी- राज दरबारों में पहले नर्तक या नर्तकी नृत्य के किसी बंदिश को नाच कर सम पर आ कर राजा को नमस्कार करता था, इस अभिवादन को सलामी कहा जाता था।
तिहाई- किसी बोल समूह को जब हम बराबर - बराबर मात्रा में तीन बार पैरों द्वारा नाचते हैं तो उसे तिहाई कहते हैं।
जारी...
Labels: कत्थक, ताल, पुनीता शर्मा, लय
5 Comments:
पुनीत जी प्रणाम
इंटरनेट के माध्यम से अपने ब्लाग पर हम जैसे कला विहीन लोगों को जानकारी देने के लिए शुक्रिया बेशक आप का ब्लाग पढकर कत्थक और शास्त्रीय संगीत के बारे में बहुत कुछ जान सकता है कई संगीत घरानों के बारे में भी आप ने अच्छी जानकारी दी है
Thank you mam...
वाक़ई आपने तो अभिरुचि जगा दी
Jhaaptaal ki brabar ki lay bhi bata di jiye? Please of 26 june
विलंबित लय और ठाह में क्या अंतर है?
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